What is DTH in Hindi डीटीएच क्या है
|What is DTH? Explained in
What is DTH in Hindi
दूरदर्शन की मुफ्त डीटीएच सेवा-डीडी डायरेक्ट प्लस चौबीसों घंटे की सेवा, बिना किसी रूकावट। टेलीविजन के एक आम दर्शक को और क्या चाहिए। मुख्य रूप से उन इलाकों के लिए जहां दूरदर्शन के किसी चैनल की पहुंच नहीं है।
दूरदर्शन की डीडी डाइरेक्ट प्लस डीटीएच सेवा भी किफायती परिवारों में तेजी से लोकप्रिय हो रही है। सिर्फ एक बार डिश का खर्चा करने के बाद इस सेवा पर उपलब्ध फ्री टू एअर चैनलों में पूरे परिवार के लिए सूचना, मनोरंजन (संगीत-फिल्म-सीरियल), समाचार और खेल का पर्याप्त मसाला टीवी पर नजर आने लगता है। साथ में रेडियो का मजा भी, इस डिश की मदद से घर में जुड़ जाता है। यदि डीटीएच सेवा में कुछ और फ्री टू एयर चैनल जुड़े तो, यह आंकडा काफी बड़ा हो सकता है। जहां तक एसेल समूह के जी नेटवर्क वाले डिश टीवी का सवाल है, उसके कनेक्शन भी दिनों-दिन बढ़ते जा रहे हैं। हर छत पर डिश के अपने लुभावने नारे के मुताबिक इस डीटीएच सेवा ने सेट-टॉप बाक्स और छतरी की लागत को सालभर के किराए में समाहित कर जो राहत ग्राहकों को दी, उसके नतीजे काफी उत्साहवर्धक हैं। इसके शाहकों की संख्या भी 10 से 15 लाख तक पंहुचने का अनुमान लगाया जा रहा है। सेटटॉप वाक्स वाली इस सेवा का एक धनात्मक पहलू यह भी है कि इसके साथ रेडियो के लोकप्रिय विविध भारती सहित दर्जनभर एफएम स्टेशनों का लत्फ भी ग्राहक उठाते हैं। इसके अलावा मूवी ऑन डिमांड सरीखी मूल्यवर्धित सेवाओं की वजह से भी इसकी लोकप्रियता बढ़ रही है।
टाटा-स्काई के मुख्य कार्यकारी अधिकारी भी मानते हैं कि भारतीय दर्शकों के रूझान को देखते हुए उनकी डीटीएच सेवा में दर्शकों के लिए इंटरेक्टिव योजनाओं का आकर्षण खासतौर पर जुड़ा होगा। डिश टीवी से जुड़े न्यू ईरा एंटरटेन भेट नेटवर्क के मुख्य कार्यकारी अधिकारी की मानें तो 2006 की बड़ी क्रांति ये मूल्यवर्धित सेवाएं भी होंगी। यही नहीं, जनरुचि के तमाम चैनलों के अलावा विशिष्ट आयोजनों के प्रसारण का एकाधिकार हासिल करने की कवायद भी डीटीएच टीवी के माध्यम से होने वाली है।
छोटी सी छतरी और सेट-टॉप वाक्स के जरिए, डिजिटल मनोरंजन की दुनिया का खजाना सीधे घरों में उपलब्ध होने की नई व्यवस्था से जाहिरन केबल आपरेटरों की बेचैनी बढ़ी है। उनकी मनमानी दाम वसूली और नखरेबाजी पर यह व्यवस्था कारगर ढंग से लगाम कसने वाली जो साबित होने वाली है। इसका पूर्वानुमान तो केबल आररेटरों को भी है और उन्होंने नई व्यवस्था में अपनी मौजूदगी बरकरार रखने के उपायों पर काम भी शुरु कर दिया है। केबल वालों की चोर-बाजारी रोकने की दिशा में पे-चैनलों की तरफ से भी सख्ती बरते जाने के संकेत मिलने से केबल ऑपरेटर परेशान हैं। आसान शर्तों पर डिजिटल केबल प्रसारण के लिए सेट टॉप-बॉक्स का जो प्रस्ताव है, उससे दर्शक अपनी पसंद के चैनल चुनकर सिर्फ उन्हीं के लिए भुगतान देने की सुविधा पा सकेंगे। लेकिन, केबल ऑपरेटर मनचाहे चैनल अपने सुविधा जनक पैकेज से दिखाकर मनचाही वसूली करने की बुरी आदत अभी छोड़ने को तैयार नहीं हैं। यही नहीं, उनके कितने कनेक्शन हैं, इसकी कोई पारदर्शिता नहीं है। इसलिए इसका नुकसान टीवी दर्शकों और पे-चैनलों दोनों को होता है। उपभोक्ताओं को भी पूरा मनोरंजन नहीं पहुँचता, क्योंकि वे ग्राहकों को कोई रसीद नहीं देते जबकि वे वसूली मनमानी करते हैं। ऐसे में जाहिर है कि अंतत: ग्राहक डिजिटल केबल कनेक्शन पर जोर देंगे, ताकि वे उन्हीं चैनलों के लिए भुगतान करें, जिन्हें वे देखना चाहते हैं।
डीटीएच के कदम तेजी से बढ़ेंगे, तो मौजूदा केबल ऑपरेटर कितने प्रभावित होंगे, इस बारे में केबल ऑपरेटरों की प्रतिनिधि संस्था अखिल भारतीय आविष्कार डिश एंटीना संघ के चेयरमैन मानते हैं कि डीटीएच के आने से केबल आपरेटरों को कोई फर्क नहीं पड़ेगा। उनका मानना है कि एक तो डिश लगाने का खर्च आम केबल उपभोक्ता को रास नहीं आयेगा। 100-150 रुपये में उनका काम हो तो वे क्यों फिजूल खर्चा करेंगे? और जो लोग समर्थ हैं, वे दोनों कनेक्शन जारी रखेंगे और दोनों का लुत्फ उठाएंगे। क्षेत्रीय कार्यक्रम तो सबको चाहिए और डीटीएच इसके मुकाबले पर शायद कभी आ नहीं पायेगा। वे मानते हैं कि हमारे केबल आपरेटरों की बड़ी कमजोरी यह है कि वे दर्शकों को साफ सिग्नल नहीं दे पाते, लेकिन इस दिशा में काम हो रहा है। वे स्वीकारते हैं कि डिश टीवी को अभी अपेक्षित लोकप्रियता न मिलने की बड़ी वजह यह भी है कि उसके सर्वाधिक पंसदीदा चैनल इनके पैकेज में अभी नहीं हैं। लेकिन डिश टीवी वालों का दावा है कि जब टाटा स्काई सामने होगा तो तमाम उपलब्ध चैनल वे भी दर्शकों को दिखा सकेंगे। इसके बावजूद सबसे बेहतर भविष्य मल्टी सिस्टम केबल आपरेटरों का रहने वाला है, जो इंटरनेट, टेलीफोन, टीवी सब एक साथ उपभोक्ताओं को एकल कनेक्शन में किफायती दरों पर देने की तैयारियों में जुटे हैं।
जब भी कोई नई तकनीक दस्तक देती है, तो उसके मुकाविल पहले से स्थापित खिलाड़ियों के बीच स्वाभाविक रूप से हलचल मचने लगती है। डीटीएच को लेकर भी सूरत-ए-हाल यही हैं। सेवा की आमद से ब्रॉडकास्टर्स के साथ-साथ केवल आपरेटर सहमे हुए हैं। बेशक, इस सेवा से प्रतिस्पर्धा और बढ़ने वाली है। इससे टीवी प्रसारण क्षेत्र को तो फायदा होगा ही, उपभोक्ता भी कहीं ज्यादा लाभ की स्थिति में होंगे।
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